कर्मवीर : एक शताब्दी की परंपरा,नए जमाने के संग साथ …

मध्य प्रांत में राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर पं. विष्णु दत्त शुक्ल और कर्मयोगी पं. माधवराव सप्रे के शुभ संकल्प स्वरूप 17 जनवरी 1920 को महाकोशल के नाभि केंद्र जबलपुर से “कर्मवीर” का प्रकाशन प्रारंभ हुआ।
संपादक नियुक्त हुए दादा माखनलाल चतुर्वेदी।
उनके संपादन में ‘कर्मवीर’ ने जो प्रतिमान स्थापित किए ,वह भारतीय पत्रकारिता के इतिहास का एक स्वर्णिम स्वर्णिम अध्याय है।
1925 में कर्मवीर का प्रकाशन खंडवा से होने लगा।
स्वतंत्रता के स्वर्ण जयंती वर्ष 1997 में दादा माखनलाल चतुर्वेदी के उत्तराधिकारी श्री बृजभूषण चतुर्वेदी ने ‘कर्मवीर’ के पुनरप्रकाशन का दायित्व वरिष्ठ पत्रकार और पत्रकारिता इतिहास के गहन अध्येता पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर को सौंप दिया।
तब से कर्मवीर का प्रकाशन भोपाल से किया जा रहा है।
कर्मवीर की सुदीर्घ गौरवशाली परंपरा अब अपने डिजिटल स्वरूप में आपके समक्ष प्रस्तुत है।
हमारे मार्गदर्शक श्री विजय दत्त श्रीधर ने इस पहल को “एक शताब्दी की परंपरा : नए जमाने के संग साथ” शीर्षक देकर आशीर्वाद प्रदान किया है।
संस्कृति,सृजन,सरोकार और संवाद पर केंद्रित इस पहल को आप सभी के समर्थन की अपेक्षा है।

अरविन्द श्रीधर
संपादक