सप्रे संग्रहालय में 27,03,239 दुर्लभ पृष्ठ डिजिटल स्वरूप में पढ़ने के लिए सुलभ.

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माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान,भोपाल में संग्रहित दुर्लभ संदर्भ सामग्री के 27,03,239 पृष्ठों डिजिटलीकरण का प्रथम चरण पूरा हो गया है। यह एक महत्वाकांक्षी संकल्प के सरकार होने का अवसर है। ज्ञान तीर्थ सप्रे संग्रहालय में संग्रहित शोध संदर्भ सामग्री में बड़ी संख्या में ऐसी पांडुलिपियों और पोथियां,ग्रंथ, पत्र-पत्रिकाएं और महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं जो 100 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। अनेक दुर्लभ और अप्राप्य श्रेणी के हैं। उन्हें बारंबार उलटने-पलटने से नष्ट होने का खतरा था। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराना भी जरूरी है। भारतीय स्टेट बैंक के सहयोग से सप्रे संग्रहालय ने 20,00,710 से अधिक प्रष्ठों का डिजिटलीकरण कर दिया गया है। पहले भी 7,02,529 पृष्ठ डिजिटाइज़ कराए गए थे। इस प्रकार अब 27,03,239 पृष्ठ डिजिटल स्वरूप में स्क्रीन पर पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं। देश विदेश की महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण देने वाले समाचार पत्रों के विशेषांकों का डिजिटलीकरण उल्लेखनीय है।
सप्रे संग्रहालय के संस्थापक विजयदत्त श्रीधर ने बताया कि डिजिटलीकरण की परियोजना के प्रथम चरण के पूर्ण होने से देश-विदेश के विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों को इस दुर्लभ सामग्री के पठन-पाठन की सुविधा सुलभ हो गई है। रचनाकारों और पत्रकारों के लिए भी महत्वपूर्ण संदर्भ उपलब्ध हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि सप्रे संग्रहालय में संग्रहित 5 करोड़ पृष्ठों से अधिक संदर्भ सामग्री का लाभ उठाते हुए 1238 शोध छात्रों ने बीते चार दशक में अपनी थीसिस पूरी की है। पीएचडी और डी लिट की उपाधियां अर्जित की हैं।
डिजिटलीकरण की इस परियोजना के अंतर्गत हिकीज गजट,सरस्वती,विशाल भारत,नागरी प्रचारिणी पत्रिका,भारत भ्राता,केसरी,हिंदी केसरी, छत्तीसगढ़ मित्र,चांद,यंग इंडिया,हरिजन,नवजीवन, प्रताप,प्रभा,कर्मवीर,हिंदू,पंच,हंस,जागरण,सैनिक, अभ्युदय,महारथी,सुधा, माधुरी,गृह लक्ष्मी,मर्यादा, मधुकर,वाणी,वीणा,दिनमान,धर्मयुग,साप्ताहिक हिंदुस्तान,इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया,मॉडर्न रिव्यू,होलकर सरकार गजट,ग्वालियर गजट,धार गजट,बड़वानी गजट,पवार सरकार गजट,श्री शारदा, कल्पना,त्याग भूमि,बालसखा,खिलौना, वानर,बालक,विज्ञा,भूगोल,युवक,अलहिलाल, अलबिलाग, विप्लव, प्रहरी,सारथी,शुभचिंतक, रविवार,संडे,मूकनायक आदि पत्रपत्रिकाओं के हजारों अंक सुरक्षित कर लिए गए हैं।
राजा राममोहन राय,भारतेंदु हरिश्चंद्र,लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक,मदन मोहन मालवीय,लाल बलदेव सिंह,महात्मा गांधी,माधवराव सप्रे, बालकृष्ण भट्ट,श्याम सुंदर दास,महावीर प्रसाद द्विवेदी,बनारसी दास चतुर्वेदी,हेमंत कुमारी देवी चौधरी,बालमुकुंद गुप्त,अंबिका प्रसाद वाजपेई, रामानंद चटर्जी,डाॅ.भीमराव अंबेडकर,सूर्यकांत त्रिपाठी निराला,गणेश शंकर विद्यार्थी,माखनलाल चतुर्वेदी,बाबूराव विष्णु पराड़कर,आचार्य शिवपूजन सहाय,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय, रघुवीर सहाय,श्री कृष्णदत्त पालीवाल प्रभृति विद्वानों का लगभग पूरा रचना कर्म डिजिटाइज्ड हो गया है।
सप्रे संग्रहालय में अब पुस्तकालय सेवा के तीनों प्रारूप कार्यरत हैं। परंपरागत पुस्तकालय में पुस्तकों के अध्ययन की सुविधा 1984 से सुलभ है।भारतीय स्टेट बैंक के सहयोग से विकसित डिजिटल लाइब्रेरी और नर्मदा चैरिटेबल पब्लिक ट्रस्ट के सहयोग से ई- लाइब्रेरी की सुविधा भी पाठकों को मिल रही है।

*दीपक पगारे

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