सदाकाल गुजरात : एक अभिनव पहल

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विदेशों में जा बसे अप्रवासी भारतीयों को भारत से जोड़ने की तर्ज़ पर अब राज्यों ने भी अन्य प्रदेशों में रहने वाले अपने मूल निवासियों को जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है। गुजरात ने तो इस दिशा में अपना पहला मज़बूत कदम उठा भी दिया है। हाल में गुजरात सरकार ने भोपाल में ‘सदाकाल गुजरात’ जैसा भव्य कार्यक्रम आयोजित कर एक नई ईबारत लिख दी है।
रवीन्द्र भवन के खचाखच भरे विशाल वातानुकूलित हँसध्वनि सभागार में उस दिन सचमुच एक मिनी गुजरात पसरा हुआ था। भोपाल सहित मध्य प्रदेश के विभिन्न भागों से आये गुजरातियों ने न केवल अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई बल्कि पारम्परिक गीत-संगीत और खान-पान की गौरवशाली विरासत को भी समृद्ध किया। मुख्य अतिथि के रूप में समारोह को संबोधित करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल ने ऐतिहासिक संदर्भों का स्मरण करते हुए कहा कि गुजरात में जन्में महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने देश को स्वराज दिलाया और आज गुजरात के ही नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी भारत को सु-राज दिलाने में जुटी है।
दोनों राज्यों को जोड़ने वाली नर्मदा नदी को जीवन रेखा के रूप में समृद्धि का साझा प्रतीक बताते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री ने अपने प्रदेश की आधुनिक उपलब्धियाँ गिनाते हुए बताया कि आज दुनिया की पाँच सौ अग्रणी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में से एक सौ ने गुजरात अपने पैर पसारे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अहर्निश प्रयासों से भारत में सेमीकंडक्टर का पहला प्लांट गुजरात में आना भी गौरव की बात है।
प्रारंभ में गुजरात के गृह, परिवहन एवं उद्योग राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने इस अभिनव समागम को दोनों राज्यों के घनिष्ठ संबंधों का परिचायक निरूपित करते हुए इसे सोमनाथ को महाकाल से और नरसिंह मेहता को कालिदास से जोड़ने वाली नई कड़ी बताया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की ग़ैर मौज़ूदगी में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने भोपाल और इन्दौर सहित राज्य की अनेक खूबियाँ गिनाते हुए बीमारू राज्य के टैग से बाहर निकलकर विकसित राज्यों में शामिल होने की दास्तान सुनाई।
समारोह में मौज़ूद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो के सांसद वीडी शर्मा ने अपने संसदीय क्षेत्र के पन्ना जिले की उथली हीरा खदानों से निकलने वाले बेशकीमती हीरों को तराशने का काम गुजरात के सूरत शहर में होने की नियति को दोनों राज्यों की मिलीजुली जगमगाहट करार दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल ने भी अपनी प्रसन्नता का इज़हार किया। इस मौके पर अखिल भारतीय गुजराती समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय पटेल ने, जो कि मध्य प्रदेश गुजराती समाज के अध्यक्ष भी हैं, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की तर्ज पर ‘श्रेष्ठ भारत श्रेष्ठ समाज’ का नारा बुलंद करने का आह्वान कर खूब तालियाँ बटोरीं।
इस लुभावने कार्यक्रम का आयोजन गुजरात सरकार के उपक्रम ‘गुजरात राज्य बिन-निवासी गुजराती फाउंडेशन’ ने किया था। कार्यक्रम की शुरुआत में गायक अनिल श्रीवास्तव ने किशोर कुमार के यादगार नगमों से लोगों का दिल जीतने का भरसक प्रयास किया वहीं कार्यक्रम के अंत में मुक्ताकाशी मंच पर बादलों की बूँदा बांदी के बीच लोकप्रिय पार्श्व गायिका भूमि त्रिवेदी के लाइव म्यूजिकल शो ने सुरमई समा बाँधा।
इस मौके पर गुजरात के गौरवशाली उत्कर्ष और वैभव से रूबरू कराने वाली प्रदर्शनी को भी लोगों ने बड़े चाव से देखा और स्वयंस्फूर्त भाव से वहाँ सेल्फी खिंचवाते रहे। आयोजकों ने ‘सदाकाल गुजरात’ में सहभागिता करने वाले सभी दो हज़ार प्रतिभागियों की आवभगत और सत्कार में कोई कसर नहीं छोड़ी। गुजराती व्यंजनों का लुत्फ़ उठाने का इससे बढ़िया मौक़ा और क्या हो सकता था!
‘सदाकाल गुजरात’ में उपस्थित प्रत्येक सहभागी को गुजरात राज्य के नॉन रेसिडेंट गुजराती फाउंडेशन द्वारा एक आकर्षक कलात्मक बैग में गुजरात सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं, नीतियों, और विकास कार्यक्रमों की समग्र जानकारी देने वाली पुस्तिकाओं, ब्रोशर आदि भेंट करना भी युक्तिसंगत रहा। जिसे पढ़कर वे गुजरात की महिमा का तथ्यपरक बखान करने में और सक्षम होंगे। सोशल मीडिया पर भी यह सामग्री उनके काम आएगी।
इस सामग्री के ज़रिए ही लेखक को पता चला कि गुजरात राज्य का नॉन रेसिडेंट गुजराती फाउंडेशन अनिवासी गुजरातियों को एक विशेष पहचानपत्र के बतौर ‘गुजरात कार्ड’ जारी करता है। इस कार्ड के धारक पूरे गुजरात में एक हज़ार से अधिक स्थानों पर होटलों, अस्पतालों और ज्वेलर्स आदि के यहाँ 5 से 35 प्रतिशत की विशेष छूट का लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा गुजरात पर्यटन निगम के अतिथिगृहों और निगम द्वारा आयोजित उत्सवों में 20 प्रतिशत की रियायत का फायदा भी उठाया जा सकता है। अनिवासी गुजरातियों को उनकी जड़ों की याद दिलाकर भावनात्मक लगाव बढ़ाने और राज्य के विकास में भागीदारी का अवसर प्रदान करने की दृष्टि से यह नवाचार वाकई अनुकरणीय है।
इसके अलावा गुजरात सरकार ने देश भर में गुजराती समाज भवनों के जीर्णोद्धार, मरम्मत, विस्तार एवं नव निर्माण के लिये 40 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता देने की योजना भी प्रारम्भ की है। मध्य प्रदेश में भोपाल, उज्जैन, जबलपुर और छिंदवाड़ा के गुजराती समाज भवनों को इसका लाभ मिला है। गुजराती समाज के अनिवासी वरिष्ठ नागरिकों के लिये सात दिवसीय गुजरात दर्शन और युवाओं के लिये दस दिनों के गुजरात परिभ्रमण जैसी नई योजनाएँ भी शुरू की गई हैं, जिसका लाभ 60 से 70 वर्ष के बुजुर्गों और 18 से 26 वर्ष के युवाओं को आसानी से मिल रहा है। हाल ही में मध्य प्रदेश के गुजराती युवाओं का एक समूह गुजरात के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का दौरा करके लौटा है।
यही नहीं, फाउंडेशन द्वारा ‘एनआरजी टाइम्स’ नामक पाक्षिक न्यूज़ लेटर भी निकाला जा रहा है और गुजराती भाषा सीखने के इच्छुक अनिवासी व्यक्तियों को मुफ्त में सीडी भी उपलब्ध कराई जा रही है। बेहतर होगा यदि गुजरात सरकार अपने इस उपक्रम का नाम हिन्दी में ‘गुजरात राज्य बिन-निवासी गुजराती फाउंडेशन’ के स्थान पर ‘गुजरात राज्य अनिवासी प्रतिष्ठान’ करने के हमारे सुझाव पर गंभीरता से विचार करे।
बहरहाल, वैसे तो हर गुजराती को प्रायः अपने मृदुल स्वभाव तथा वणिक एवं उद्यमी प्रवृत्ति के चलते गुजरात का ब्रांड एम्बेसेडर माना जाता रहा है। देखना है ब्रांडिंग का यह नया दौर गुजरात और गुजरातियों को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवेश में किन नई ऊँचाइयों पर ले जाने में कामयाब होता है?

*विनोद नागर
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार,कला समीक्षक और साहित्यकार हैं)

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