निशाने पर पर्यटक : एक सोची-समझी चाल

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विगत कुछ वर्षों में जिस वयान ने अपना अर्थ लगभग खो दिया है, वह है हर आतंकवादी हमले के बाद दिए जाने वाला यह बयान- “आतंकवादियों को बख़्शा नहीं जाएगा। आतंकवादियों के नापाक इरादों को सफल नहीं होने दिया जाएगा।”
यह बयान अपना अर्थ क्यों खो चुका है? इसे पूरा देश जानता है।
हर घटना के बाद एक भावनात्मक उबाल आता है। उच्च स्तर पर सक्रियता बढ़ती है। टीवी पर जोरदार वहसें होती हैं। राजनीतिक दल अपनी-अपनी रोटियां सेंकते हैं। घटना के लिए एक-दूसरे पर दोषारोपण करते हैं। सोशल मीडिया वाग्वीरों के वीरतापूर्ण बयानों से सहम जाता है। ऐसा लगता है,मानो अगले आधे घंटे में इस पृथ्वी से आतंकवाद का नामोनिशान मिटने वाला है।

फिर शवों को उनके घरों तक पहुंचाने का सिलसिला प्रारंभ होता है। हजारों की भीड़ नम आंखों से मृतकों को अंतिम विदाई देती है। आक्रोश अपनी पराकाष्ठा पर होता है, जो चिता की आग ठंडी होने के साथ ही,ठंडा हो जाता है।
थोड़े दिनों बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। तमाम बयान वीर अपने-अपने कामों में लग जाते हैं।
भुगतता है वह परिवार जो अपनों को खोता है।

इस गहमागहमी को आतंकवादी अपनी सफलता के रूप में देखते हैं। यही तो उनका उद्देश्य है कि देश में दहशत और एक दूसरे के प्रति अविश्वास का माहौल बने। ध्रुवीकरण की खाई और गहरी हो। इतनी गहरी कि पाटना मुश्किल हो जाए।

पहलगाम में हुआ ताजा हमला खाई को और गहरा करने वाला ऐसा ही एक प्रयास है।
कश्मीर में उमड़ते सैलानियों के हुजूम,आतंकवादियों और उनके आकाओं की आंखों में किरकिरी की तरह चुभ रहे थे।
कश्मीर की हसीन वादियां एक बार फिर अपनी पुरानी रंगत में नज़र आने लगी थीं। धारा 370 हटने और शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न होने के बाद दुनिया को यह संदेश जा रहा था कि कश्मीर शांत हो चला है। पर्यटन उद्योग फलने-फूलने लगा था। स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर उम्मीदें बंधने लगीं थीं कि पर्यटकों के आने से उनके जीवन की दुश्वारियां कुछ कम होंगी।

ऐसा माहौल,जो दहशतगर्दों को अप्रासंगिक बना दे, उन्हें कैसे रास आ सकता है?

पहलगाम की आतंकी वारदात को आतंकवादियों द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के दुस्साहसपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए।
इस हमले के बाद हजारों पर्यटकों ने अपनी बुकिंग रद्द कर दी है। ऐसा लगता है कि एक बार फिर कश्मीर की वादियों में सन्नाटा पसर जाएगा। विश्वास बहाल होने में फिर बरसों का समय लगेगा।

इस बीच तमाम वाग्वीर पूरी ताकत के साथ आतंकवादियों और उनके आका को ललकार रहे हैं। और देश प्रतीक्षा कर रहा है – “आतंकवादियों को बख़्शा नहीं जाएगा।आतंकवादियों के नापाक इरादों को सफल नहीं होने दिया जाएगा।”, वर्षों से दिया जा रहा यह बयान शीघ्रातिशीघ्र अपना खोया अर्थ वापस पा ले।


पहलगाम आतंकी हमले में अपनी जान गंवाने वाले लोगों को विनम्र श्रद्धांजलि।

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