इन दिनों मध्य प्रदेश में ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ जोर-जोर से चलाया जा रहा है। यह अभियान नदियों,तालाबों और अन्य जल स्रोतों के संरक्षण- संवर्धन पर केंद्रित है। अभियान महज एक सरकारी कार्यक्रम बनकर न रह जाए इसके लिए पंचायत, ग्रामीण विकास और श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल विशेष रूप से सक्रिय हैं।
मूलतः कृषक परिवार से संबंध रखने वाले प्रहलाद पटेल पुण्य सलिला नर्मदा के अनन्य भक्त हैं। नर्मदा की पैदल परिक्रमा कर चुके पटेल की यह भक्ति केवल पूजन पाठ तक ही सीमित नहीं है,वह नर्मदा सहित मध्य प्रदेश की तमाम नदियों की क्षीण होती जलधार के प्रति चिंतित हैं।
यही चिंता पटेल को प्रदेश भर में घूम-घूम कर छोटी-बड़ी नदियों के उद्गम स्थलों की खैर ख़बर लेने के लिए प्रेरित कर रही है। इस मुहिम को नाम दिया गया है ‘उद्गम मानस यात्रा’ ।

उद्गम मानस यात्रा,महज़ पूजा पाठ का अभियान भर नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से नदी संरक्षण के प्रति उदासीन स्थानीय समुदाय के मानस को झकझोरने का प्रयास किया जा रहा है।
यह एक ऐसी सकारात्मक पहल है जो जल संरक्षण के शासकीय अभियान के साथ स्थानीय समुदाय की भागीदारी पर जोर देती है।
अनथक परकम्मा वासी प्रहलाद सिंह पटेल उद्गम मानस यात्रा के तहत अब तक छोटी बड़ी 80 नदियों के उद्गम स्थलों पर जा चुके हैं।
उनकी इस मुहिम से शासकीय अमला जल संरक्षण गतिविधियों के प्रति गंभीर हुआ है। स्थानीय लोग नदी संरक्षण जैसे मुद्दे पर सचेत हुए हैं।
अनेक स्थानों पर पंच-सरपंच सम्मेलन भी आयोजित किए जा रहे हैं। इन सम्मेलनों में पंचायत राज प्रतिनिधियों से जल संरक्षण गतिविधियों में सक्रिय सहभागिता की अपील की जा रही है।
श्रमदान, उद्गम मानस यात्रा का प्रमुख घटक है। खुद प्रहलाद पटेल इसमें बढ़-कर कर भाग लेते हैं।

प्रहलाद सिंह पटेल भले ही एक राजनीतिज्ञ हैं लेकिन खरी-खरी कहने से नहीं चूकते ।
अप्रैल में विदिशा जिले के गंजबासौदा में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि – गत वर्ष वह 32 नदियों के उद्गम स्थलों पर गए थे , जिनमें से 27 लगभग सूखे मिले ; केवल पांच नदियों के उद्गम स्थल पर ही उन्हें जीवंत जलधार देखने को मिली।
नदियों के प्रति बेरुखी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि पहले नदियों के तटों पर निर्माण और खुदाई में एक मर्यादा का पालन किया जाता था,लेकिन अब सारी मर्यादाएं ताक पर रख दी गई हैं।
हरदा में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा – यह देखकर सुखद आश्चर्य होता है कि जनजातीय इलाकों में स्थित उद्गम स्थलों का मान हमारे जनजातीय समाज के लोग रखे हुए हैं। यदि अपने आप को पढ़ा-लिखा कहने वाले लोग भी यह कर सकें,तो नदियों का अस्तित्व बना रहेगा।

मंडला में गौर एवं डिंडोरी में छोटी महानदी के उद्गम स्थल पर आयोजित कार्यक्रम में पटेल ने कहा – यह समाज को सुनिश्चित करना चाहिए कि नदियां अविरल बहती रहे,और प्रदूषण मुक्त रहें। समाज को आगे आकर यह दायित्व निभाना चाहिए ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए नदियों को संरक्षित कर सकें। सिर्फ पेड़ लगाना ही काफी नहीं है,उनका संरक्षण भी सुनिश्चित करना होगा।
विदिशा जिले के मुरझिरी गांव में बावना नदी के उद्गम स्थल पर आयोजित श्रमदान के दौरान उन्होंने कहा –
मध्य प्रदेश नदियों का मायका है। यहां छोटी-बड़ी 247 नदियों का उद्गम स्थल है। यह प्रदेशवासियों के लिए सौभाग्य की बात है। छोटी नदियां बारहमासी होंगी तभी बड़ी नदियों का अस्तित्व बचेगा।

सीधी जिले में हिरन सहित अन्य चार नदियों के उद्गम स्थलों पर आयोजित कार्यक्रम में पटेल ने कहा – नदियों के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं। यह धैर्य एवं संयम का काम है, जिसे जन सहयोग से ही सफल बनाया जा सकता है। वृक्षारोपण, वृक्षों की सुरक्षा, नगरीय क्षेत्रों में दूषित जल का नदियों में मिलने से रोकना और नदियों को अतिक्रमण से मुक्त कराना जैसे काम जन सहयोग से ही संभव हैं।
नदियों के उद्गम स्थलों को पुनर्जीवित करने की इस मुहिम में पटेल दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी पहुंच रहे हैं। वह बालाघाट जिले के दुर्गम इलाकों से निकलने वाली सोन, देव और तन्नौर नदी के उद्गम स्थलों पर भी पहुंचे। जनजातीय समाज को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उद्गम स्थलों को संरक्षित कर आप लोग महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
इटारसी के निकट हातेड नदी के उद्गम स्थल पर आयोजित कार्यक्रम में मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा – नदी है,तो सदी है। उद्गम स्थल तभी जीवित रहते हैं, जब उसके आसपास पेड़ पौधे हों। यदि पेड़-पौधे, वनस्पतियां नष्ट होंगी,तो जल स्रोत भी समाप्त हो जाएंगे।

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से निकलने वाली पलकमती नदी को अपने उद्गम स्थल पर सूखा देखकर मंत्री श्री पटेल ने चिंता जाहिर की, साथ ही शहरी अपशिष्ट से होने वाले प्रदूषण के उचित समाधान की आवश्यकता भी बताई।
उन्होंने लगभग हर जगह इस बात पर जोर दिया कि नर्मदा जैसी बड़ी नदियों के अस्तित्व के लिए छोटी-छोटी नदियों का बारहमासी बना रहना बहुत जरूरी है ; और इसके लिए जरूरी है कि समाज और समुदाय नदी संरक्षण को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझे।
नदियों के उद्गम स्थल को ऊर्जा का स्रोत मानने वाले प्रहलाद सिंह पटेल ने उद्गम मानस यात्रा के माध्यम से जल गंगा संवर्धन अभियान को एक विशिष्ट मकसद प्रदान किया है। यह मकसद आध्यात्मिकता का पुट लिए उनकी कार्यशैली के अनुकूल है,और जनता जनार्दन को भी रास आ रहा है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि उनकी यह ‘उद्गम मानस यात्रा’ छोटी-छोटी नदियों को सदानीरा बनाए रखने और बड़ी नदियों का अस्तित्व बचाए रखने में अवश्य उपयोगी साबित होगी।

*अरविन्द श्रीधर