द्वादश ज्योतिर्लिंग मानस यात्रा – 2 : श्रीमल्लिकार्जुन

karmveer By karmveer
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शिवजी को प्रिय पवित्र श्रावण मास में कर्मवीर अपने पाठकों के लिए द्वादश ज्योतिर्लिंगों पर एकाग्र पुराणोक्त जानकारी उपलब्ध करा रहा है। इसी क्रम में आज द्वितीय ज्योतिर्लिंग श्रीमल्लिकार्जुन के बारे में जानिए….

भगवान शिव का यह द्वितीय ज्योतिर्लिंग दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश में कुरनूल जिले के अंतर्गत कृष्णा नदी के तट पर अवस्थित श्री शैल पर्वत पर स्थित है। महाभारत,शिवपुराण तथा पद्मपुराण आदि धर्मग्रंथो में इनके महत्व का विस्तृत विवरण उपलब्ध है।

श्री शैलश्रृङ्गे विबुधातिसङ्गे तुलाद्रितुङ्गेऽपि मुदा वसन्तम्।
तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम्।।

जो ऊंचाई के आदर्शभूत पर्वतों से भी बढ़कर ऊंचे श्रीशैल के शिखर पर जहां देवताओं का अत्यधिक समागम होता रहता है,प्रसन्नतापूर्वक निवास करते हैं तथा जो संसार रूपी सागर को पार कराने के लिए सेतु हैं, उन एकमात्र प्रभु श्री मल्लिकार्जुन को मैं नमस्कार करता हूं।

शिवपुराण की शतरुद्रसंहिता में कहा गया है कि-

मल्लिकार्जुनसंज्ञश्चावतर: शंकरस्य वै।
द्वितीय: श्रीगिरौ तात भक्ताभीष्टफलप्रद:।।
संस्तुतो लिङ्गरूपेण सुतदर्शनहेतुत:।
गतस्तत्र महाप्रीत्या स शिव: स्वगिरेर्मुने।।

श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन नामक द्वितीय ज्योतिर्लिंग है। यह भगवान शिव के अवतार हैं। इनके दर्शन-पूजन से भक्तों को अभीष्ट फल मिलता है। पुत्र स्कंद को मनाने के लिए भगवान शिव पार्वतीजी सहित कैलाश छोड़कर यहां पधारे और फिर लिंग रूप में यही स्थिति हो गए।

तद्दिनं हि समारभ्य मल्लिकार्जुनसम्भवम्।
लिङ्गं चैव शिवस्यैकं प्रसिद्धं भुवनत्रये।।
जिस दिन से श्री मल्लिकार्जुन का उद्भव हुआ उस दिन से शिव का यह ज्योतिर्लिंग तीनों लोकों में प्रसिद्ध हो गया।

मल्लिका नाम भगवती पार्वती का है और अर्जुन नाम शिव का। शिव-शक्ति का संयुक्त पीठ होने के कारण उन्हें श्रीमल्लिकार्जुन कहते हैं।

(कथा विस्तार से पढ़ने के लिए शिवपुराण, शतरुद्रसंहिता का अध्ययन करना चाहिए। गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तक’द्वादश ज्योतिर्लिंग’ में भी श्रीमल्लिकार्जुन के यपौराणिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक तथ्यों का विस्तृत विवरण दिया गया है।)

दर्शनार्थी सड़क मार्ग,रेल मार्ग अथवा हवाई मार्ग से यहां पहुंच सकते हैं। हैदराबाद और सिकंदराबाद से यहां जाने के लिए बसें उपलब्ध हैं। कुर्नूल से 58 किलोमीटर दूर मरकापुर रोड रेलवे स्टेशन है, जहां से बस द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। निकटतम हवाई अड्डा हैदराबाद है, जहां से श्रीशैल की दूरी 211 किलोमीटर है।

(गीता प्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘द्वादश ज्योतिर्लिंग’ से साभार)

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