श्री विजय मनोहर तिवारी माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय के कुलगुरु

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माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु का दायित्व प्रखर पत्रकार, सुधी लेखक और भारतीय संस्कृति एवं पुरातत्व के अध्येता श्री विजय मनोहर तिवारी को सौंपा गया है। वे इसी विश्वविद्यालय के दूसरे बैच के प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान अर्जित करने वाले छात्र हैं।
श्री विजय मनोहर तिवारी मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग में पाँच वर्ष तक सूचना आयुक्त (2018-23) रहे हैं। वे बहुकला केन्द्र भारत भवन के न्यासी रहे। दत्‍तोपन्त ठेंगड़ी शोध संस्थान की संचालन समिति के सदस्य हैं। श्री तिवारी ने ढाई दशक तक समाचारपत्रों-राष्ट्रीय सहारा, नईदुनिया, इंदौर और दैनिक भास्कर, भोपाल तथा सहारा समय न्यूज चैनल में विभिन्न पत्रकारी दायित्वों का निर्वाह किया। मुख्यतः उनकी भूमिका मैदानी रिपोर्टिंग की रही है। सन 2010 से 2015 तक श्री तिवारी दैनिक भास्कर के विशेष संवाददाता रहे। इस दौरान देशभर की आठ यात्राएँ की। दैनिक भास्कर के हिन्दी, गुजराती और मराठी संस्करणों के रविवारीय परिशिष्टों में उनकी लिखी आमुख कथाएँ विशिष्ट विषय-विवेचन-शैली के कारण बहुचर्चित रहीं। राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें ख्याति मिली। इसी यात्रा शृंखला पर आधारित उनकी पुस्तक ‘भारत की खोज में मेरे पाँच साल’ को मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी सम्मान मिला। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘गणेशशंकर विद्यार्थी सम्मान’ प्रदान किया। माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान ने ’माधवराव सप्रे’ पुरस्कार से सम्मानित किया। उनकी पुस्तक ‘हरसूद 30 जून’ को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार ने ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’ प्रदान किया। इस पुस्तक में नर्मदा सागर बाँध की डूब में डूबे हरसूद कस्बे के विसर्जन की मार्मिक कथा आँखों देखा हाल की शैली में बयान की गई है।
श्री विजय मनोहर तिवारी पिछले पाँच वर्ष से मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक नगर उदयपुर (जिला विदिशा) की विरासत यात्रा शृंखला चला रहे हैं। एक हजार वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के नीलकंठेश्वर मंदिर के संरक्षण की प्रभावी और सार्थक पहल उन्होंने की। फलतः अब यह राष्ट्रीय महत्व की पुरातात्विक संपदा के रूप में संरक्षित स्थल बन गया है। आचार्य सुरेश मिश्र इस पहल में उनके सहयात्री रहे।
सूचना आयुक्त के दायित्व से मुक्त होने के उपरांत श्री विजय मनोहर तिवारी ने दूरगामी सोच की सार्थक पहल-रिवर्स माइग्रेशन-‘शहर से अपने गाँव और खेती की ओर वापसी’ को साकार किया। वे अपने गाँव में नई सोच और पद्धति से किसानी कर रहे हैं।
श्री विजय मनोहर तिवारी का कुलगुरु के पद पर चयन विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने किया है। इस चयन की सर्वत्र सराहना की जा रही है। उनका कार्यकाल चार वर्ष रहेगा।
-विजयदत्‍त श्रीधर

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