हमारे ज्ञान भंडार को सहेजना सरकार और नागरिक दोनों का दायित्व : कैलाश विजयवर्गीय

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सप्रे संग्रहालय में ‘डिजिटल लाइब्रेरी’ का लोकार्पण

हमारे ज्ञान भंडार को सहेजना सरकार और नागरिक दोनों का दायित्व : कैलाश विजयवर्गीय

हमारे आस पास बिखरे ज्ञान के भंडार को सहेजना उसे मजबूती देना सरकार और नागरिक दोनों का ही दायित्व है।
सप्रे संग्रहालय जैसे संस्थान भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण एवं संवर्धन में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
यह कहना है प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का। वे रविवार को माधवराव सप्रे संग्रहालय में ‘डिजिटल लाइब्रेरी’ के लोकार्पण अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। विश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर ‘सपने के सच होने का उत्सव’ शीर्षक कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी कर रहे थे। भारतीय स्टेट बैंक के उपमहाप्रबंधक सांई कृष्णा श्रीधरा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
‘डिजिटल लाइब्रेरी’ की स्थापना भारतीय स्टेट के सामाजिक सेवा बैंकिंग के तहत की गई है।
अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि कैलाश विजयवर्गीय ने आगे कहा कि कोई संस्थान अपने कार्य से तो पहचाना जाता ही है लेकिन उसके नाम की बड़ी महत्ता होती है। यह संग्रहालय माधवराव सप्रे जैसे मनीषी के नाम पर स्थापित है, उन्होंने हिंदी के विकास और देश के लिए बहुत कुछ किया। सप्रे जी ने स्वतंत्रता आंदोलन में वैचारिक अलख जगाने वाले माखनलाल चतुर्वेदी जैसे पत्रकार और साहित्यकारों का निर्माण किया। विज्ञान, चिकित्सा, अर्थशास्त्र आदि विषयों के लिए हिंदी शब्दकोष तैयार किया। ऐसे व्यक्ति के नाम पर स्थापित संस्थान उसी गरिमा के साथ कार्य कर रहा है। उन्होंने संग्रहालय से निजी जुड़ाव का उल्लेख करते हुए इस पुनीत कार्य के लिए संग्रहालय के संस्थापक निदेशक विजयदत्त श्रीधर को साधुवाद भी दिया।


अध्यक्षीय उद्बोधन में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने कहा कि आज इस संग्रहालय में डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना होना एक बड़ी उपलब्धि है। इस संग्रहालय में जिस तरह के ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध हैं उनका डिजिटाइजेशन होना बहुत जरूरी है। यह भावी पीढ़ी के लिए जरूरी है। उन्होंने अपने निजी संग्रह की सामग्री संग्रहालय को उपलब्ध कराने की इच्छा भी जताई।
इसके पूर्व संग्रहालय के संस्थापक निदेशक विजयदत्त श्रीधर ने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक से कारपोरेट सोशल रिस्पान्सबिलिटी (सी.एस.आर.) के अंतर्गत प्राप्त धनराशि से 20,01,994 पृष्ठ दुर्लभ संदर्भ सामग्री का डिजिटलीकरण कराया गया है। इससे पहल इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र एवं मध्यप्रदेश जनसंपर्क के सहयोग से 7,02,529 पृष्ठों का डिजिटलीकरण हुआ है। इस तरहअब सप्रे संग्रहालय की डिजिटल लाइब्रेरी में 27,04,523 पृष्ठ कम्प्यूटर स्क्रीन पर अध्ययन के लिए सुलभ हो गए हैं। इससे जर्जर हो रहे पृष्ठों की सुरक्षा और शोधार्थियों एवं जिज्ञासु पाठकों के लिए अध्ययन की सुविधा दोनों सुनिश्चित हो गई है। उन्होंने बताया कि यहां उपलब्ध सामग्री का लाभ देश और विदेश के हजारों शोधार्थियों ने उठाया। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि हमने जिस उद्येश्य से इसकी स्थापना की थी उसकी पूर्ति में लगे हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्य किसी एक व्यक्ति के बल पर संभव नहीं था। इस यात्रा में हमारे साथ कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहयोगी रहे। उन सभी के प्रति यह संग्रहालय हमेश कृतज्ञ रहेगा।


आरंभ में अतिथियों ने रिमोट की बटन दबाकर नव निर्मित लाइब्रेरी का लोकार्पण किया। अतिथियों द्वारा ‘ज्ञान तीर्थ सप्रे संग्रहालय संदर्भिका-2’ का विमोचन भी किया गया। संग्रहालय की ओर से समिति के अध्यक्ष डॉ. शिवकुमार अवस्थी और उपाध्यक्ष प्रो. रामाश्रय रत्नेश ने अतिथियों का स्वागत् किया गया। कार्यक्रम का संचालन और आभार प्रदर्शन निदेशक अरविंद श्रीधर ने किया। संग्रहालय के लिए राज्यपाल,मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष तथा भारतीय स्टेट बैंक के महाप्रबंधक बिनोद कुमार मिश्र के संदेशों का वाचन विवेक तिवारी ने किया।

कार्यक्रम में सप्रे संग्रहालय की स्थापना से लेकर अब तक सहयोग देने वाले साथियों तथा संस्थाओं के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया। इसके तहत सहयोगी संस्थान भारतीय स्टेट बैंक के प्रतिनिधि सांई कृष्णा श्रीधरा,जनसंपर्क की ओर उपसंचालक मुकेश मोदी ने सम्मान ग्रहण किया। सहयोगी साथियों में सुरेश शर्मा के पुत्र अभिषेक शर्मा,शौकत रमूजी के परिवार से रफत रमूजी,संतोष कुमार शुक्ल के पुत्र अनुराग तथा पारिजात शुक्ल,समिति के अध्यक्ष डॉ. शिवकुमार अवस्थी तथा डॉ. मंगला अनुजा को सम्मानित किया गया। सम्मान के तहत शॉल,श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।

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