द्वादश ज्योतिर्लिंग मानस यात्रा : 10,11,12 (समापन किस्त)

karmveer By karmveer
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10 – श्रीनागेश्वर

ज्योतिर्लिंगों की गणना में श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दसवां स्थान है। श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रांत के द्वारकापुरी से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। यह स्थान गोमती द्वारका से बेट द्वारका जाते समय रास्ते में पड़ता है।
(यद्यपि शिव पुराण के अनुसार समुद्र के किनारे द्वारकापुरी के पास स्थित शिवलिंग ही ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रमाणित होता है,पर इस प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग के अतिरिक्त नागेश्वर नाम से कुछ अन्य से लिंगो का वर्णन ग्रंथो में प्राप्त होता है।
इनमें से एक श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग हैदराबाद के अवढ़ा नामक ग्राम में अवस्थित है।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में यागेश्वर या जागेश्वर नामक शिवलिंग अवस्थित है,जिसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग बताया जाता है।
कुछ लोग श्रीबैद्यनाथ धाम के पास स्थित वासुकीनाथ को ही नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कहते हैं।)
श्री शिवपुराण,कोटिरूद्रसंहिता में श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राकट्य की कथा विस्तार से मिलती है।

तीर्थ यात्रियों को श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने के लिए गुजरात प्रांत के द्वारकापुरी पहुंचना चाहिए। यह ज्योतिर्लिंग द्वारकापुरी से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

11 – श्रीरामेश्वर

द्वादश ज्योतिर्लिंगों की गणना में सेतुबंध रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का 11 वां स्थान है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचंद्र जी के करकमलों द्वारा हुई थी। श्रीरामेश्वरम हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ है।यह तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है।यह तीर्थ हिंदुओं के चार धामों में से एक है। भारत के उत्तर में काशी की जो मान्यता है,वही दक्षिण में रामेश्वरम की है।
यहां भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व पत्थरों के द्वारा एक सेतु का निर्माण करवाया था, जिस पर चढ़कर वानर सेना लंका पहुंची और वहां विजय पाई।बाद में श्रीराम ने विभीषण की अनुरोध पर धनुषकोटि नामक स्थान पर यह सेतु तोड़ दिया था। आज भी इस 48 किलोमीटर लंबे आदिसेतु के अवशेष सागर में दिखाई देते हैं।
सेतुबंध-रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के आविर्भाव तथा माहात्म्य की कथा शिवपुराण, स्कंदपुराण के ब्रह्मखंड एवं श्री रामचरितमानस जैसे ग्रंथों में विस्तार से मिलती है।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के आसपास बाईसकुंड, धनुष्कोटि,गंधमादन पर्वत,लक्ष्मणतीर्थ,देवी मंदिर,सेतुमाधव,बिल्लूरणि तीर्थ,एकांत राम,कोदंड स्वामी का मंदिर,सीता कुंड,आदिसेतु आदि स्थान दर्शनीय हैं।
दक्षिण भारत के समुद्र तट पर अवस्थित सेतुबंध रामेश्वर तीर्थ देश के सभी हिस्सों से सड़क,रेल एवं वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है।

12 – श्री घुश्मेश्वर

द्वादश ज्योतिर्लिंगों की गणनाक्रम में इस ज्योतिर्लिंग का बारहवां स्थान है। इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर, घृसृणेश्वर एवं घृष्णेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह महान ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र प्रांत में औरंगाबाद के निकट दौलताबाद से 11 किलोमीटर दूर वेरूल गांव के पास स्थित है। इसके वर्तमान मंदिर का निर्माण महाराजा शिवाजी के पितामह श्रीमालो जी राजे भोसले एवं जीर्णोद्धार इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था।

शिवमहापुराण में श्रीघुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्रादुर्भाव की कथा एवं महिमा का वर्णन बहुत मनोरम ढंग से किया गया है।
तीर्थ यात्रियों के लिए लगभग सभी बड़े शहरों से यातायात की भरपूर सुविधा उपलब्ध है। मध्य रेलवे की मनमाड़-पूर्णा लाइन पर लगभग 106 किलोमीटर दूर दौलताबाद स्टेशन है।वहां से लगभग 19 किलोमीटर पर वेरूल गांव के पास यह स्थान है।
घुश्मेश्वर से लगभग 8 किलोमीटर दूर दक्षिण में एक पहाड़ी की चोटी पर दौलताबाद का किला है।यहां धारेश्वर शिवलिंग दर्शनीय है। श्री एकनाथजी के गुरु श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी यहीं पर है।
इतिहास प्रसिद्ध एलोरा की दर्शनीय गुफाएं भी मंदिर के समीप ही हैं।
( गीता प्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित द्वादश ज्योतिर्लिंग से साभार)

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जैयिन्यां महाकालमोंकारे परमेश्वरम्।।
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम्।
वाराणस्यां च विश्वेशं त्रयंबकं गौतमी तटे।।
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने।
सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं च शिवालये।

सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल पर मल्लिकार्जुन,उज्जयिनी में महाकाल,ओंकार तीर्थ में परमेश्वर,हिमालय के शिखर पर केदार, डाकिनी क्षेत्र में भीमाशंकर,वाराणसी में विश्वनाथ,गोदावरी के तट पर त्रयंबक,चिताभूमि में बैद्यनाथ,दारूकावन में नागेश, सेतुबंध में रामेश्वर तथा शिवालय में घुश्मेश्वर का स्मरण करना चाहिए।

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2 Comments
  • || सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
    उज्जयिन्यां महाकालं ओंकारं ममलेश्वरम् ॥
    परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।
    सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥
    वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
    हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये ॥

    हर हर महादेव 🙏

  • आपके व्दारा दी जा रही विभिन्न ज्योतिर्लिंग की जानकारी न केवल ज्ञानवर्धक है बल्कि धर्म प्रचार और सामान्य ज्ञान के लिए भी महत्वपूर्ण है।
    इस प्रकार की जानकारी देते रहें
    शुभकामनाएं।

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