आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस : सूचना तकनीक की नई क्रांति

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AI कोई अजूबा नहीं, बल्कि मानव मस्तिष्क की ही एक उपज है। यह हमारी जीवनशैली को अधिक आरामदायक, सुलभ और प्रभावशाली बना सकती है – बशर्ते हम इसे विवेक और संतुलन के साथ अपनाएँ।
विद्यालय के दिनों में “विज्ञान: लाभ और हानि” जैसे विषयों पर भाषण, वाद-विवाद और निबंध लिखना आम बात थी। समय बदला, विज्ञान ने रोज़मर्रा की ज़िंदगी में पहले रेडियो, फिर टेलीविजन, मोबाइल और अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) के रूप में हमारी जिंदगी आसान बनाने के लिए हस्तक्षेप बढ़ाया है। आज AI हमारी बातचीत, सोच, कामकाज, और यहां तक कि निर्णयों तक को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में AI के लाभ और हानि पर विचार करना समीचीन होगा।

AI यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता वह तकनीक है, जो मशीनों को सीखने, तर्क करने और निर्णय लेने में सक्षम बनाती है। वर्ष 2025 में वैश्विक AI बाज़ार $244.22 बिलियन तक पहुँच चुका है, और 2031 तक इसके 26.6% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने की संभावना है। यह दर्शाता है कि यह तकनीक केवल भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान की भी एक सशक्त वास्तविकता है।

AI के उपयोग से दक्षता और उत्पादकता में जबरदस्त वृद्धि हुई है। यह 24/7 कार्य कर सकती है, मानव त्रुटियों को कम करती है, और डेटा विश्लेषण द्वारा निर्णय लेने में सहायता करती है। स्वास्थ्य, वित्त और निर्माण जैसे क्षेत्रों में यह क्रांतिकारी बदलाव ला रही है।
उदाहरण के लिए, विनिर्माण इकाइयों में AI संचालित रोबोट उत्पादन को सुव्यवस्थित करते हैं। AI आधारित चैटबॉट्स ग्राहक सहायता को बेहतर बनाते हैं – नेटफ्लिक्स की AI सिफारिशें सालाना $1 बिलियन का मुनाफा कमा रही हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में AI नई दवाओं की खोज को गति दे रही है – जैसे नवीडिया और फाइज़र का $80 मिलियन का निवेश। यह खतरनाक कार्यों में मानव जीवन की रक्षा करती है, और पर्यावरणीय मॉडलिंग से जलवायु संकट की समझ को बेहतर बनाती है।

AI का सबसे बड़ा योगदान यह है कि यह हर व्यक्ति के पास जानकारी और समाधान की पहुंच संभव बनाता है। इसके चलते शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के नए द्वार खुल रहे हैं।

इसका एक दूसरा पक्षी भी है। हर क्रांति की एक कीमत होती है। AI के आगमन से स्वचालन बढ़ा है, जिससे पारंपरिक नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। HR, ग्राहक सेवा, लेखांकन जैसे क्षेत्रों में मानव संसाधनों की आवश्यकता घट रही है।
AI को लागू करने की लागत भी ऊँची है – हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, और विशेषज्ञों की ज़रूरत छोटे व्यवसायों के लिए चुनौती है।
गोपनीयता की बात करें तो AI विशाल डेटा पर आधारित है, जिससे डेटा उल्लंघन, निगरानी, और एल्गोरिदमिक पक्षपात जैसे खतरे बढ़ जाते हैं।
AI का अत्यधिक उपयोग मानवीय संबंधों और संवेदनशीलता को भी प्रभावित कर सकता है – यह भावनाओं को नहीं समझ सकती, जो कि स्वास्थ्य सेवा और मानसिक परामर्श जैसे क्षेत्रों में ज़रूरी हैं।
भविष्य की सबसे बड़ी चिंता यह है कि AI कहीं ऐसी दिशा में न बढ़ जाए, जहाँ उसका नियंत्रण मानव के हाथों से निकल जाए। जनरेटिव AI कभी-कभी भ्रामक जानकारी भी दे सकता है, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है।

यह मानना होगा कि AI मानव का विकल्प नहीं, सहायक है। हमें इससे भयभीत होने की बजाय इसके लाभों का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए, और इसकी सीमाओं को समझते हुए मानवीय संवेदनाओं, कला, संस्कृति और मौलिकता की रक्षा करनी चाहिए।

AI हमारे समय की वह क्रांति है, जो सही दिशा में उपयोग हो तो मानव जाति के लिए वरदान साबित हो सकती है – और गलत दिशा में गई तो चुनौती। ज़रूरत है इसे नियंत्रित नवाचार के सकारात्मक रास्ते पर आगे बढ़ाने की। जहां मानवीय क्षमता कुछ वर्किंग घंटे प्रतिदिन से अधिक नहीं हो सकती, ऐ आई हमारे लिए चौबीसों घंटे बिना थके लगातार काम कर सकता है। हम किसी काम को आज की जगह कल पर टाल सकते हैं, किंतु ए आई तुरत फुरत ही काम निपटाता है। बस हमें इसे सही प्राम्पट देने की आवश्यकता होती है। इसलिए ए आई के बढ़ते प्रयोग से प्राम्पट इंजीनियरिंग में रोजगार बढ़ भी रहे हैं । यह इस नई टेक्नोलॉजी का सकारात्मक प्रभाव है।

*विवेक रंजन श्रीवास्तव
(लेखक सेवानिवृत अभियंता हैं।तकनीकी विषयों पर हिंदी में लेखन करते हैं।)

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