गोंड राजाओं के दीवानी कार्यों हेतु मूलतः मुगलसराय के पास सिकंदरसराय से मंडला आए कायस्थ परिवार में प्रो.चित्रभूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ का जन्म सन् 1927 में हुआ था।
वे संस्कृत से हिन्दी भावानुवाद के मर्मज्ञ थे।महाकवि कालिदास के महाकाव्य ‘मेघदूत’ एवं ‘रघुवंश’ के श्लोक उन्होने यथाभाव छंदबद्ध हिन्दी कविता में रचे हैं,जो पुस्तक रूप में प्रकाशित हैं।
श्रीमद्भागवत गीता के उनके द्वारा किये गये हिन्दी काव्यानुवाद के पांच संस्करण अब तक प्रकाशित हो चुके हैं।
1948 में सरस्वती पत्रिका में उन की पहली रचना प्रकाशित हुई और उसके बाद निरंतर पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं,लेख आदि छपते रहे हैं साथ ही आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से प्रसारित भी होते रहे हैं . दूरदर्शन भोपाल ने “एक व्यक्तित्व ऐसा ” नाम से उन पर फ़िल्म बनाई है।
उनकी अन्य महत्वपूर्ण कृतियां हैं- ईशाराधन ,वतन को नमन ,अनुगुंजन ,नैतिक कथाएं ,आदर्श भाषण कला ,कर्म भूमि के लिये बलिदान ,जनसेवा,अंधा और लंगड़ा , मुक्तक संग्रह ,अंतर्ध्वनि, समाजोपयोगी उत्पादक कार्य , शिक्षण में नवाचार,मानस के मोती , अनुभूति , रघुवंश हिंदी भावानुवाद , भगवत गीता हिंदी काव्य अनुवाद, मेघदूतम , शब्दधारा आदि।
इनके अलावा विभिन्न विषयों पर उनकी 40 से अधिक कृतियां प्रकाशित हैं।
वे बाल साहित्य व राष्ट्रीय भावधारा की कविताओं के साथ ही भक्ति गीतों,समसामयिक घटनाओ पर त्वरित कविताओं और हिन्दी ग़ज़लों के लिये भी पहचाने जाते रहे हैं।
गद्य पर भी उनका समान अधिकार रहा है। उन्होंने विविध विषयों पर ललित निबंध , चिंतन परक आलेख ,मानस विषयक,स्त्री विमर्श व शैक्षिक शोध केंद्रित भी आलेख खूब लिखे हैं।
वे अपने परिवेश में सदैव साहित्यिक वातावरण सृजित करते रहे हैं।जिस भी संस्थान में रहे वहां शैक्षणिक पत्रिका प्रकाशन,संपादन व साहित्यिक आयोजन करवाते रहे।उन्होने संस्कृत एवं हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये राष्ट्र भाषा प्रचार समिति वर्धा , तथा बुल्ढ़ाना संस्कृत साहित्य मण्डल के साथ बहुत कार्य किये। उन्होंने अनेक पुस्तकालयों में अनगिनत किताबें दान में दीं।
चित्रभूषण जी जरूरतमंदों की मदद के लिए भी हमेशा तत्पर रहते थे। प्रधानमंत्री राहत कोष एवं नारायण सेवा संस्थान में वह नियमित रूप से अंशदान करते रहते थे।
‘विदग्ध’ जी का देहावसान हिंदी साहित्य, खास तौर पर महान संस्कृत साहित्य के हिंदी भावानुवाद के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति है।
प्रो.शरद नारायण खरे