एक नज़र 15 अगस्त 1947 के अखबारों की हैडलाइंस पर…

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जिस पीढ़ी ने गुलामी का अभिशाप झेला, स्वतंत्रता के लिए भारत माता के सपूतों को संघर्ष करते हुए देखा और फिर 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत का पहला सूर्योदय होते हुए भी देखा,उनमें से बहुत कम लोग अब हमारे बीच में मौजूद हैं।

लेकिन हमारे बीच में मौजूद हैं 15 अगस्त 1947 के वह अख़बार जिनकी हेडलाइंस में आजादी की उमंग और देश के नवनिर्माण का संकल्प स्पष्टतः परिलक्षित होता है।

सचमुच बहुत रोमांचकारी है 15 अगस्त 1947 के अखबारों को देखना। 

आईए उस ऐतिहासिक दिन की खबरों के शीर्षकों पर एक नजर डालते हैं।

नई दिल्ली से प्रकाशित होने वाले ‘हिंदुस्तान’की हेडलाइंस थी –

‘शताब्दियों की दासता के बाद भारत में स्वतंत्रता का मंगल प्रभात’

‘बापू की चिर तपस्या सफल’ 

‘भारतीय विधान परिषद द्वारा शासन सत्ता ग्रहण’ 

‘रात के 12 बजे शंख ध्वनि के साथ स्वतंत्रता की घोषणा’ 

‘दैनिक प्रताप’ ने बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ की कविता ‘हिंदुस्थान हमारा है’ मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित की।

“कोटि कोटि कंठों से निकली आज यही स्वर धारा है। भारतवर्ष हमारा है,यह हिंदुस्थान हमारा है।”

‘वीर अर्जुन’ ने अपने स्वाधीनता अंक के मुख्य पृष्ठ पर शीर्षक दिया-

‘एक हजार वर्षों बाद भारत फिर स्वाधीन हो गया’

‘भारत में ब्रिटिश राज्य का अंत : स्वराज्य आरंभ’ 

‘THE LEADER’ ने लिखा-

‘INDIA IS FREE TODAY’

“Glorious victory of nonviolent revolution” 

‘Gandhiji’s mission in Calcutta’ 

THE HINDUSTAN TIMES  ने लिखा –

‘India independente : British rule ends’ 

‘New star rises in the East’ 

THE TIMES OF INDIA ने लिखा –

‘Birth of India’s freedom 

Nation wakes to new life’ 

THE TRIBUNE  ने लिखा –

‘India wakes to life and freedom’

INDIAN EXPRESS  ने शीर्षक दिया-

‘India celebrates freedom’ 

THE DAILY TELEGRAPH  ने शीर्षक बनाया –

‘India is now two dominions’ 

‘Power transferred at midnight’ 

‘कर्मवीर’ ने अपने मुख्य पृष्ठ पर तिरंगे के साथ राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त की कविता प्रकाशित की-

“यह पुण्य पताका फहरे।

मुक्त वायुमंडल में अपनी मानस लहरी लहरे।”

यह तो सिर्फ हेडलाइंस हैं। असली रोमांच तो तब होता है जब यह पत्र-पत्रिकाएं हमारी आंखों के सामने हों, और हम उनमें छपे एक-एक शब्द के अंदर समाहित उमंग, उत्साह और कुछ कर गुजरने के जज्बे को महसूस करें।

(समाचार पत्रों की छवियां सप्रे संग्रहालय,भोपाल के सौजन्य से।)

*अरविन्द श्रीधर 

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